सोमवार, 30 अगस्त 2010

खेती-बाड़ी


खेती-बाड़ी का काम यहाँ पर प्राय: प्राचीन ढ़ंग से होता है। पहाड़ों की ढालों में काट-काटकर खेत बनाये गये हैं, जिनमें अनाज बोया जाता है। जहाँ कहीं हो सकता है, पर्वतीय नदियों से नाला काटकर नहर ले जाता हैं, जिन्हें 'गुल' कहते हैं। उनसे सिंचाई होती है। कहीं-कहीं पहाड़ की घाटियों में नदी के किनारे बड़ी उपजाऊ जमीने हैं। ये 'सेरे' कहे जाते हैं। जिस जमीन में पानी से सिंचाई नहीं हो सकती, वह 'उपजाऊ' कहलाती है। गाँव के हिस्से 'तोक, सार, टाना' आदि नामों से पुकारे जाते हैं।

यों तो खेती हल चलाकर होती है। किन्तु कहीं-कहीं ऐसी पर्वतीय जगहें हैं, जहाँ बैल नहीं जा सकते। वहाँ कुदाली (कुटल) से खोदकर खेती करते है । फसलें प्राय: दो होती हैं। तराई भावर में कहीं-कहीं तीन फसलें होती हैं। फसलों में जो-जो चीजें पैदा होती हैं, उनका ब्यौरा नीचे दिया गया है -

खरीफ
अनाज - धान, मडुवा, मानिरा, कौणी, चीणा, चौलाई या चुआ, उगल (फाफरा), मक्का।

तराई भावर में इनके अलावा ज्वार, बाजरा, गानरा आदि भी होते हैं।

दालें - उर्द, भट, गहत, रैंस, अरहर, मूँग । अरहर पर्वतों में नहीं होता।

तिलहन - सरसों, तिल, भंगीरा।

रबी
अनाज - गेहूँ, जौं, भावर में गानरा
दालें - मसूर, मटर (चना भावर तराई में)
तिलहन - अलसी, सरसों।

रुई यहाँ पर यत्र-तत्र कुछ होती है। फसल खरीफ के साथ भाँग भी बोई जाती है, जिसके पत्तों से चरस बनती है। इसके बीज पीसकर जाड़ों में तरकारी में डालकर खाये जाते हैं। ये बड़े गरम होते हैं। भागों के रेसों से रस्सियाँ तथा बोरी का कपड़ा बनता है।

गन्ना कहीं-कहीं पहाड़ों में भी होता है। अदरख, हल्दी, मिर्च, बहुतायत से बाहर भेजे जाते हैं। आलु व घुइयाँ (पिनालु) बहुत होते हैं। बंडे (गडेरी) ८-१० सेर तक होते हैं, और कलकत्ते तक भेजे जाते हैं।

तम्बाकु निजी खर्च के लिए कहीं-कहीं बोया जाता है।

लोगों की मुख्य गुज़र खेती से होती है। पर खेती लोगों के पास थोड़ी-थोड़ी बोने से सब बातों की गुज़र उससे नहीं होती, इसलिए लोग नौकरी करते हैं। तमाम भारत में, खासकर उत्तरी भारत में बहुत से लोग उच्च सरकारी व अन्य नौकरियों में फैले हैं।

कुमाऊँ में कुमाऊँ के लायक अनाज पैदा नहीं होता। तराई-भावर से अनाज पर्वतों को जाता है, किन्तु यह ज्यादातर नगरों को जाता है, जैसे नैनीताल, भवाली, रानीखेत, अल्मोड़ा मुक्तेश्वर आदि। देहात अन्न के बारे में प्राय: स्वावलंबी हैं।
 

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