जबकि नगर के लोग चतुर, चालाक व चंचल प्रकृति के होते हैं, देहात के लोग ज्यादातर सीधे-सादे व सरल स्वभाव के पाये जाते हैं । पर कुमाऊँ की साधारण जनता सामान्य शिक्षित होने पर भी काफी समझदार है । अल्मोड़ा नगर के लोग तो सब प्रकार धनवान, विद्धान, गुणवान व सम्पतिवान हैं, पर उनमें 'स्व' की मात्रा ज्यादा होती है । यदि ऐसा न होता, तो संसार भर के लोगों में वे किसी बात में कम न होते । इसका कारण यह है कि साधारण कुमय्यों का उद्देश्य आज तक अनपढ़ों की खेती, स्वल्प पढ़ों का क्षुद्र चाकरी तथा ज्यादा पढ़ों का नौकरी रहा है । वाणिज्य, व्यवसाय तथा कला-कौशल से ही प्रत्येक जाति उत्पन्न होती है । यहाँ पर लेखक, कवि, राजनीतिज्ञ तथा कुछ राजभक्त कर्मचारी व साधारण व्यापारी हुए हैं जिनका नाम तमाम भारतवर्ष में प्रचलित है । वे भारत के प्राय: अनेक प्रांतों में, पर विशेषत: संयुक्त प्रांत में अच्छे-अच्छे सरकारी पदों को सम्मानपूर्वक सुशोभित करतो हैं । देश-सेवा में कुमाऊँ का नाम उज्जवल करने वाले राष्ट्रीय नेता पे. गोविंदवल्लभ पंत हैं । वे अपनी विद्वता, त्याग, तपस्या व देश-सेवा के कारण राजनीतिक क्षेत्र में अखिल भारतवर्षीय ख्याति पाई है । चिकित्सा में स्वनाम धन्य डॉ. नीलाम्बर चिन्तामणि जोशीजी ने कुर्माचलियों का नाम तमाम भारत में प्रख्यात किया है । हिन्दी जगत् में नाम कमाने वाले डॉ. हेमचन्द्र जोशी तथा कविवर सुमित्रानंदन पंत हैं । उधर डॉ. लक्ष्मीदत्त जोशीजी ने उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर कुमाऊँ का मान बढ़ाया है । |
सोमवार, 30 अगस्त 2010
कुमाऊँ के मनुष्यों के गुण, स्वभाव व कर्म
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